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Reducing police torture against Muslim at Grass root level by engaging and strengthening Human Rights institutions in India

Monday, April 8, 2013

Fwd: उत्तर-प्रदेश के वाराणसी जिले के निवासी नाबालिग लडके रुस्तम अली पुत्र मोहियुद्दीन को पुलिस द्वारा ह्त्या के झूठे मुकद्दमे में फ़साने व जान के खतरे के सम्बन्ध में



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From: PVCHR MINORITY <minority.pvchr@gmail.com>
Date: 2013/4/8
Subject: उत्तर-प्रदेश के वाराणसी जिले के निवासी नाबालिग लडके रुस्तम अली पुत्र मोहियुद्दीन को पुलिस द्वारा ह्त्या के झूठे मुकद्दमे में फ़साने व जान के खतरे के सम्बन्ध में
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सेवा में,                                                                                                 8 अप्रैल, 2013
अध्यक्ष
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग,
नई दिल्ली |

विषय : उत्तर-प्रदेश के वाराणसी जिले के निवासी नाबालिग लडके रुस्तम अली पुत्र मोहियुद्दीन को पुलिस द्वारा ह्त्या के झूठे मुकद्दमे में फ़साने व जान के खतरे के सम्बन्ध में

महोदय,
            आपको यह अवगत करना चाहता हूँ कि प्रार्थी मोहियुद्दीन निवासी ग्राम- मीना बाज़ार, पो0- लोहता, जिला वाराणसी का पुत्र रुस्तम अली नाबालिग है | दिनांक 5 नवम्बर, 2012 को शमशेर अंसारी पुत्र अब्दुल हकीम की हत्या हो गयी थी | जिसमे रुस्तम अली को 7 नवम्बर, 2012 को शाम 6.00 बजे उसके घर से पुलिस वालो ने उठा लिया जिस बात के गवाह पुरे मोहल्ले के निवासीगण है | उस समय पुलिस ने कहा कि पूछ ताछ के लिए ले जा रहे है और पूछ-ताछ के बाद छोड़ देंगे | उसकी गिरफ्तारी के बाद मोहल्ले के लोग लोहता थाने का घेराव भी किये थे तो लोहता थाने के पुलिस वालो ने कहा कि रुस्तम अली यहाँ नहीं है जाकर मडुआडीह थाने में पता करो जब मडुआडीह थाने में पता किया गया तो वहा के पुलिस वालो ने कहा कि रुस्तम यहाँ नहीं है पुलिस लाइन में पता करो पूछ-ताछ किया जा रहा है | जब पुलिस लाइन आये तो पता चला कि रुस्तम के खिलाफ ह्त्या का मुकद्दमा दर्ज हो गया है और उसे जेल भेज दिया गया है |
            
       रुस्तम अली को जब घर से उठाया गया था तो उसे किसी प्रकार की चोट नहीं थी लेकिन पुलिस वालो ने उसके पैर में चोट दर्शाया है साथ ही पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी अन्यत्र दिखाई है | साथ ही उसको ह्त्या के झूठे मामले में मुकद्दमा दर्ज कर उसे जेल भेज दिया |
            
       रुस्तम अली नाबालिग है लेकिन उसके साथ पुलिस वालो ने मार पीट की और उसके साथ मुजरिमों जैसा व्यवहार किया गया और जान से मारने की धमकी देकर और मार पीट कर उससे जबरदस्ती जुर्म कबूल कराकर बयान लिया गया है |
            
       जबकि रुस्तम अली के खिलाफ इसके पहले कोइ भी आपराधिक मामला किसी भी थाने में कभी दर्ज नहीं है और मोहल्ले वाले इस बात की गवाही दे सकते है कि मेरा पुत्र निहायती शरीफ है कभी किसी से कोइ झगड़ा या फसाद नहीं हुया है और उसका चरित्र भी ठीक है |
            
      ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिस और अन्य लोगो ने साजिश के तहत असली मुजरिम को बचाने के लिए रुस्तम अली को जानबूझकर फसा रहे है क्योकि इस केस में रुस्तम अली को न तो किसी ने ह्त्या करते देखा और न ही किसी ने ह्त्या स्थल पर देखा और पुलिस ने जिस मोबाईल से इस घटना का खुलासा किया है उसमें भी रुस्तम अली का नम्बर उस मोबाईल में नहीं है और न ही मृतक से रुस्तम अली की कोइ दुश्मनी थी | फिर किस आधार पर पुलिस ने रुस्तम अली को गिरफ्तार किया यह सोचनीय है |

साथ ही रुस्तम अली के परिजन लगातार यह कह रहे है कि रुस्तम अली अभी नाबालिग है लेकिन किसी दबाव के कारण या जानबूझकर रुस्तम अली की टी0सी0 नहीं मानी जा रही है | जबकि उस टी0सी0 पर काउन्टर साइन भी हुआ है | ग्राम प्रधान ने भी उस टी0 सी0 को प्रमाणित किया है | (संलग्नक – 1)

जब परिवार रजिस्टर की नक़ल देखेंगे तो उसमे भी जानबूझकर रुस्तम अली को बालिग दिखाया गया है जबकि मेहंदी हसन और रुखसाना बानो के बाद रुस्तम अली की पैदाईश है जो कि राशन कार्ड से प्रमाणित होती है | (संलग्नक – 2)

इसके अलावा जो मेडिकल रिपोर्ट प्राप्त हुई है उसमे भी डाक्टरों के साइन के बाद उसमे between और about को काटकर जानबूझकर above 18 years लिखा गया प्रतीत हो रहा है | साथ ही उस मेडिकल रिपोर्ट पर रुस्तम अली के साइन नहीं है बल्कि किसी और का साइन है | (संलग्नक – 3)
            अतः श्रीमान जी से निवेदन है कि इस मामले को संज्ञान में लेते हुए रुस्तम अली  का पुनः मेडिकल बोर्ड बनाकर मेडिकल परीक्षण कराया जाय और इस मामले में किसी स्वतंत्र एजेंसी से उच्च स्तरीय जांच कराई जाय | ताकि नाबालिग बच्चे की जान बच सके और वह अपना जीवन जी सके | साथ ही श्रीमान जी से यह भी निवेदन है कि पुलिस का रवैया देखते हुए इस बात का अंदेशा है कि जेल में रुस्तम अली की ह्त्या हो सकती है |
            अतः इस मामले में त्वरित कार्यवाही का आदेश दे | जिससे न्याय हो सके |
भवदीय
डा0 लेनिन
महासचिव
मानवाधिकार जननिगरानी समिति, वाराणसी
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