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Reducing police torture against Muslim at Grass root level by engaging and strengthening Human Rights institutions in India

Friday, March 15, 2013

25 नवम्बर, 2012 को उत्तर-प्रदेश के भदोही जिले में हुए साम्प्रदायिक दंगे में पुलिस व प्रशासन द्वारा एकतरफा कार्यवाही किये जाने के सम्बन्ध में |

सेवा में,                                       15 मार्च, 2013

माननीय प्रधानमंत्री महोदय.
भारत सरकार,
नई दिल्ली |

विषय : 25 नवम्बर, 2012 को उत्तर-प्रदेश के भदोही जिले में हुए साम्प्रदायिक दंगे में पुलिस व प्रशासन द्वारा एकतरफा कार्यवाही किये जाने के सम्बन्ध में |

महोदय,
      आपका ध्यान दिनाक 25 नवम्बर, २०१२ को उत्तर-प्रदेश के भदोही जिले के गोपला दरोपुर में ताजिये के रास्ते को लेकर उत्पन्न हुए विवाद में कुछ अराजक तत्वों द्वारा इसे साम्प्रदायिक दंगे का रूप दे दिया | ताजिया निकालने के लिए जिस जगह को लेकर विवाद था उस पर पुलिस प्रशासन द्वारा दोनों समुदाय के लोगो के साथ कई बार थाने में बैठक करके सुलझा लिया गया था | साथ ही उस विवादित जगह से ताजिया बिना किसी विघ्न के निकल भी गया था | लेकिन पन्ना लाल यादव के घर के पास अचानक कुछ हिन्दू लोगो ने ताजिया रोक दिया और वाद-विवाद उत्पन्न हो गया | उसी घर में पहले से ही 200 से 250 लोग मौजूद थे जिन लोगो ने घर के छत से ताजिये पर पत्थर फेकना शुरू कर दिया और बोतलों में मिटटी का तेल डालकर फेकना शुरू कर दिया | अचानक हुए इस हमले से अफरा तफरी का माहौल उत्पन्न हो गया | लोग इधर उधर भागने लगे | सबसे चौकाने वाली बात हाय रही के यह सब घटना पुलिस के सामने घटित हुआ | इसके अलावा उस घर के बगल वाले घर से कई राउण्ड गोलिया भी चलाई गयी और पुलिस मूक दर्शक बनी देखती रही |
      इसके बाद पीएसी के जवानो ने मुस्लिम घरो में घुसकर तोड़-फोड़, लूटपाट और मार पीट शुरू कर दिए | जो जहा भी मिलता उसे मारा गया | साथ ही रास्ते पर लोगो से उनके नाम पूछकर भी उन्हें मारा पीटा गया |
      इस घटना के बाद पुलिस ने तीन FIR दर्ज किया था जिसमे केवल एक तरफ़ा समुदाय द्वारा दंगा करने की बात कही गयी वही दूसरी तरफ FIR में यह भी कहा गया कि जब पुलिस मौके पर पहुँची तो मुस्लिम समुदाय के लोग पन्ना लाल की गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे और नारे लगा रहे थे | तब पुलिस ने इस पर छान-बीन क्यों नहीं की कि क्यों लोग पन्ना लाल की गिफ्तारी की मांग कर रहे थे | क्या पुलिस ने इस पूरी घटना की कोइ वीडियोग्राफी कराई थी कि नहीं | पुलिस ने किस आधार पर नामजद FIR दर्ज की और केवल एक धर्म के लोगो पर ही | पुलिस ने घटना होने के बाद सख्ती क्यों नहीं बरती कि दूसरे दिन भी ट्रेन पर पथराव जैसी घटना हो गयी |
      अभी पुलिस ने जिन अज्ञात लोगो के खिलाफ FIR दर्ज की थी उसमे मुस्लिम लोगो के खिलाफ गुण्डा अधिनियम जैसी धारा का प्रयोग किस आधार पर किया जा रहा | जबकि उनमे से कई लोग उस दिन वहा मौजूद भी नहीं थे | ये सभी प्रश्न पुलिस की एकतरफा कार्यवाही से खड़े होते है |
      अतः आप से विनम्र निवेदन है कि कृपया इस मामले को संज्ञान में लेते हुए इस पूरी साम्प्रदायिक घटना की जांच स्वतन्त्र एजेंसी से कराते हुए दोषी दंगाईयो और पुलिस वालो पर केस दर्ज किया जाय और जो बेक़सूर लोग इस दंगे में शामिल नहीं थे उनके खिलाफ दर्ज FIR रद्द की जाय |



भवदीय

डा0 लेनिन
महासचिव
मानवाधिकार जननिगरानी समिति
सा 4/2 ए दौलतपुर, वाराणसी



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