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Reducing police torture against Muslim at Grass root level by engaging and strengthening Human Rights institutions in India

Sunday, September 25, 2011

अल्पसंख्यक युवक को वाराणसी पुलिस द्दारा लगभग 48 धंटे तक गैर कानूनी तौर पर हिरासत मे रखने के सम्बन्ध मे



---------- Forwarded message ----------
From: PVCHR MINORITY <minority.pvchr@gmail.com>
Date: 2011/9/26
Subject: अल्पसंख्यक युवक को वाराणसी पुलिस द्दारा लगभग 48 धंटे तक गैर कानूनी तौर पर हिरासत मे रखने के सम्बन्ध मे
To: jrlawnhrc@hub.nic.in
Cc: akpnhrc@yahoo.com


सेवा मे,                                       26 सितम्बर 2011

      अध्यक्ष,

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग

   नई दिल्ली

विषय:- अल्पसंख्यक युवक को वाराणसी पुलिस द्दारा 48 धंटे तक गैर कानूनी तौर पर हिरासत मे रखने के सम्बन्ध मे

महोदय,

                 मै, आपका ध्यान 24 सितम्बर 2011 की दैनिक जागरण की खबर  ' होटल की खूबसुरती के चक्कर मे फंसा महफुज ' पर आकृष्ट करना चाहता हुँ।[i]  लिंक http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttarpradesh/4_1_8263744.html

               लेख है कि, महफूज अहमद पुत्र एकलाक अहमद निवासी रसूलाबाद, थाना कोतवाली फूलपुर, आजमगढ़ को वाराणसी (उत्तर प्रदेश ) की पुलिस ने गुरुवार को इक होटल का फोटो खिचने के कारण गिरफ्तार कर लिया। कैंट पुलिस थाना – वाराणसी ने उसे लगभग 48 घंटे तक हिरासत मे रखा है। उत्तर प्रदेश सरकार तत्तकाल महफूज का पता लगाए और जवाब दे कि महफूज को किस आधार पर 24 घंटे बीत जाने के बाद भी हिरासत में रखा गया है। क्योंकि माननीय उच्चचतम न्यायालय के दिशा निर्देशों का यह खुला उल्घंन है कि किसी व्यक्ति को दो दिनों से अवैध पुलिस हिरासत में रखा गया है।

          शिब्ली नेशनल कालेज, आजमगढ  के प्राक्टर अख्तर अली के अनुसार महफूज शिब्ली नेशनल कालेज का छात्र और चतुर्थ श्रेणी का अस्थाई कर्मचारी है। शिब्ली नेशनल कालेज में आडिट का काम चल रहा है। मुंबई से चार सदस्यी टीम आई है। चूंकी कालेज में अडिट फार्म नहीं था और न ही आजमगढ़ में उपलब्ध था इसलिए उसे 22 सितंबर 2011 को फार्म लेने के लिए वाराणसी भेजा गया था। आडिट टीम के सदस्य मोहम्मद शमीम खान ने बताया कि 22 सितंबर को दिन में चार बजे महफूज से बात की थी तो उसने कहा था कि वो तुरंत ही बस पकड़ने वाला है। परंतु जब साढ़े आठ बजे तक वो वापस नहीं लौटा तो मोहम्मद शमीम ने उसे दुबारा फोन किया परन्तु महफूज के बजाय फोन किसी और ने उठाया। जब फोन उठाने वाले को पता चला कि फोन करने वाला आडिट टीम का सदस्य है तो उसने फोन काट दिया। 23 सितंबर 2011 को साढ़े बारह बजे दिन में सादे कपड़ों में बाइक से दो व्यक्ति महफूज के गांव रसूलाबाद भी गए थे और उसके संबंध में गांव के कुछ लोगों से बातचीत भी की थी।

            लेख है कि,  महफुज की गिरफ्तारी और अवैध हिरासत का कारण पुलिस की साम्प्रदायिक सोच का नतीजा है । ऐसा पुलिस ने आजमगढ़ फोबिया से ग्रस्त होकर पहले भी किया है। सवाल है कि जैसा कि  मीडिया रिपोर्ट के अनुसार महफूज को किसी होटल का फोटो खींचने की वजह से कैंट पुलिस वाराणसी ने गिरफ्तार किया है तो महफुज के परिवार वालो को या तो नेशनल कालेज से फोन जाने के बाद कालेज प्रबन्धन को सुचित क्यो नही किया ? महफुज के मामले मे वाराणसी पुलिस द्दारा माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्दारा गिरफ्तारी के समय के लिये निर्धारित डी.के.बसु गाइडलाईन का पालन क्यो नही किया गया ? महफुज को  कैंट पुलिस,वाराणसी द्दारा न्यायालय में प्रस्तुत क्यो नही किया गया ?

 

              महोदय, इस सम्बंध में निवेदन/मांग है कि घटना के दोषी पुलिस अधिकारी एवम अन्य दोषियो पर कार्यवाही की जारी किया जाय एवम महफुज को मुआवजा जारी किया जाय ।कृपया अतिशीध्र आवश्यक कार्यवाही करने का कष्ट करे जिससे की महफुज को न्याय मिल सके तथा उसके सम्मान की रक्षा हो सके ।  

भवदीय

डा लेनिन

(महा सचिव)

मानवाधिकार जन निगरानि समिति

एस.ए. 4 /2 ए,दौलतपुर,वाराणसी
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