PVCHR initiative supported by EU

Reducing police torture against Muslim at Grass root level by engaging and strengthening Human Rights institutions in India

Friday, July 22, 2011

मरता रहेगा लोकतंत्र.....




आखिर कब तक...

                  मरता रहेगा लोकतंत्र.....

सात माह का नौशाद पुलिस पर पथराव और फायरिंग कर रहा था,उसी के साथ सात माह की गर्भवती शाजमिन भी अररिया जिला प्रशासन और आरो सुन्दरम कम्पनी के लोगो पर फायरिंग कर रही थी।पुलिस के पास इनके हमले से बचने का कोई रास्ता नही बचा,चेतावनी देने के बाद भी ये रुक नही रहे थे इसलिये पुलिस ने खुद को बचाने के लिये नौशाद को सीधे दो गोली और गर्भवती शाजमिन को सीधे सिर और पेट पर 6 गोली मारी दी।सुनिल यादव, बिहार अग्निशमन सेवा के कर्मचारी अपने बयान मे कहते है कि 'अपने उपर हमले से मुझे गुस्सा आ गया और मैने उस लडके को मारना शुरु कर दिया।' गुस्से मे उन्होने 4 गोली लगने से जमीन पर तडप रहे मुस्तफा पर कुद कर,लातो से,बुट से मारा,बाद मे अस्पताल मे मुस्तफा की मृत्यु हो गयी।भजनपुर के लोगो ने अस्पताल.करबला.ईदगाह और बाजार जानेवाली सड्क को बन्द कर रही जबरदस्ती बनी दिवाल को तोड दिया था।यह सडक 1958-59 में तत्कालीन ग्राम पंचायत मुखिया नूर मोहम्मद अंसारी के सुझाव पर लोगों द्वारा दान में दी गयी जमीन पर बनी थी।इस सडक के कारण लोगो द्वारा किये जाने वाला 6-8 किमी का रास्ता मात्र 1 किमी रह गया । सन् 1984 में भूमि अधिग्रहण के बाद भी यह रास्ता जारी रहा। सन् 1993 में 'जवाहर रोजगार योजना', सन् 2000 में जिला परिषद फण्ड, सन् 2006-07 में ब्लाक प्रमुख के फण्ड से इस रास्ते पर निर्माण एवं मरम्मत कार्य किये गये।

               'भजनपुर' गाँव-तहसील फारविसगंज,जिला-अररिया का एक गुमनाम गाँव था। राज्य स्तर पर यह गाँव पहली बार 1984 में सरकार की नजर में आया जब तत्कालीन मुख्यमंत्री चन्द्रशेखर सिंह की सरकार द्वारा छोटे-छोटे किसानों की 105 एकड़ जमीन का जबरिया अधिग्रहण कर उन किसानों को दैनिक मजदूर में बदल दिया गया। यह जमीन सरकार ने मात्र 15.000 रुपये पर बिहार औद्यौगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण(बायडा) के लिए लिया। जो किसान मान गया, उसे सन् 1988 में रुपये मिले, जो नही माना उससे जमीन 'सरकारी लोक तंत्र' के तरीके से लिया गया। औद्यौगिक विकास के नाम गरीब पर किसानों की जमीन सन् जून 2010 तक बंजर/परती रखी गयी। सन् 2010 में राष्ट्रीय राजमार्ग से सटे हुए जमीन को बिहार सरकार द्वारा भाजपा के एम.एल.सी. (बिहार विधान परिषद) और अशोक अग्रवाल के पुत्र सौरव अग्रवाल और अशोक चौधरी  की कम्पनी आरो सुन्दरम प्राइवेट कम्पनी लिमिटेड रुडकी, हरिद्वार (उत्तराखण्ड) को 24 जून 2010 को प्रस्ताव पास करके दे दिया गया।[i] उस परियोजना से प्रत्यक्ष रुप में 240 लोगों को रोजगार मिलने की सम्भावना रखी गया।

               आरो सुन्दरम् फैक्ट्री राष्ट्रीय राजमार्ग 57 के एक तरफ एवं भजनपुर गाँव हाइवे की दूसरी तरफ है। फैक्ट्री और गाँव के बीच की दूरी लगभग 100-200 मीटर है। बीच में हाइवे का ऊँचा ब्रिज है। फैक्ट्री और गाँव को जोड़ने के लिए ब्रिज के नीचे एक पुल बना है। भजनपुर गाँव के लोगों को अस्पताल, करबला, ईदगाह, और बाजार से जोड़ने वाला सीधा एकमात्र रास्ता अधिग्रहित जमीन से होकर जाता है।

              आरो सुन्दरम कम्पनी द्वारा निर्माण के कार्य शुरू होने के पश्चात् ही रास्ते को बन्द करने की चर्चा प्रारम्भ हो गयी। मामले को लेकर भजनपुर गाँव की एक टीम ने एस.डी.ओ. को फरवरी 2011 में आवेदन दिया। उन्होने बताया इस रास्ते से लगभग 8000 लोगों की आवादी वाली 2-3 पंचायत के लोग आवागमन के रुप में प्रयोग करते है। मार्च 2011 में एस.डी.ओ. फार्बिसगंज ने लोगों से कहा कि ऊपर से आदेश है, रास्ते को हर हाल में बन्द करना है। 1 जून 2011 को ग्रामीणों, कम्पनी के अधिकारी और जिला प्रशासन के बीच वार्ता हुई। ग्रामिणो ने कहा कि उन्हे कम्पनी की दिवाल के पास से  रास्ता दे दिया जाय जिससे उन्हे ज्यादा लम्बी दूरी नही तय करनी पडेगी। परन्तु कम्पनी प्रतिनिधियों और फारविसगंज प्रशासन ने रास्ता देने से मना कर दिया।

              इस निर्णय के पीछे 29 मई 2011 को उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी की फारविसगंज में की गयी मीटिंग में अधिकारियों को अतिशीध्र निर्माण में आने वाली रुकावटो को निपटाने की दी गयी सख्त हिदायत है। 2 जून 2011 को कम्पनी द्वारा स्थानीय प्रशासन के सहयोग से रात में ही रास्ता बन्द कर दिया गया।

            मो0 अंजर अंसारी कहते है कि 'हम लोगों ने अपनी जमीन दान में देकर रास्ता बनाया था। 60 साल से अधिक हो गया हमे रास्ता का प्रयोग करते हुए, जमीन हमारी थी फिर कम्पनी वाले रास्ते को कैसे बन्द कर सकते है। हम लोंगो ने किसी भी व्यक्ति पर हमला नही किया न ही मशीने जलाई।'

             घटना के सम्बन्ध में गफ्फार अंसारी कहते है कि 'पुलिस वाले आते ही गोली चलाने लगे। उन्होंने कोई चेतावनी नही दी। लोग शान्ति से गाव की तरफ वाले सडक पर खड़े थे। अगर प्रशासन को लगता था कि हम उपद्रवी है तो चेतावनी दी जाती है, आसुगैस के गोले छोडे जाते है, रबर की गोलियां दागी जाती है। परन्तु प्रशासन की मंशा तो स्पष्ट थी। उन्होंने आते ही सीधे गोली मारना शुरू कर दिया। हम लोग गाव मे अन्दर भाग गये ।छोटे बच्चे बाहर तमाशा देख रहे थे पुलिस ने उन पर गोली चलायी ।एक गोली 8 साल के बच्चे की गर्दन मे लगी,एक 10 साल की बच्ची की पीठ को छुती हुई निकल गयी। हम आंतकवादी तो नही है जिसे सीधे गोली मारी जा रही है। एक-एक मरने वालो को 4-6 गोलीयां लगी है।

              रेहाना खातुन के बायी हाथ में गोली लगी है। 7 माह का मृत बालक नौशाद रेहाना का बेटा है। 7 माह के नौशाद को पुलिस की दो गोली लगी थी। रेहाना कहती है कि ''नौशाद को सर्दी और बुखार था। मैं रेफरल अस्पताल से बेटे को दवा दिलाकर ला रही थी। मुझे पता नही था कि रास्ते को लेकर पूलिस गोली चला रही है। मैं रास्ते में आ रही थी कि एक गोली मेरे बायी हाथ में लगी और दो गोली नौशाद को लगी। मैं बेहोश हो गयी। होश में आने पर पुछा तो पता चला कि मेरा बेटा मर गया।'' रेहाना अपनी बात पुरी नही कर पाती... पुरा परिवार सिसकियो मे डुब जाता है।

            फटकन अंसारी की उम्र 65 साल है। उनका बेटा मृतक मुस्तफा बुढापे का इकमात्र सहारा था वो पान की दुकान चलाकर परिवार की आजीविका भी चलाता था। फटकन अपनी पत्नी के साथ बुझी आवाज मे कहते है कि ''बच्चों ने आकर बताया कि मुस्तफा को गोली लग गयी। मैं गया तो गाँव की महिलाओं ने मुझे पकड़ लिया। उन लोगों ने बताया कि एक पुलिस वाला गोली से घायल होकर जमीन पर तडप रहे मुस्तफा के ऊपर कुद रहा है।मेरा कलेजा कांप उठा, मेरा बच्चा अभी जिन्दा था। मैं बेहोश हो गया। मिट्टी आयी तो पता चला कि उसे 4-6 गोली लगी थी।'' एस.पी. गरिमा मलिक ने गोली चलावाई। अस्पताल मे जाने के बाद मुस्तफा मरा।' फटकन बेटे के बारे मे कुछ और बताने की कोशिश करते पर मुस्तफा की माँ की सुनी और उदास आंखो मे नमी आती आ जाती है फटकन बात बन्द कर पत्नी को झुठी दिलासा देने लगते है।मुस्तफा की माँ कहती है कि 'अगर पुलिस वाले सही समय पर दवा दिला देते तो मेरा बेटा बच जाता।'    

            27 वर्षीय शाजमिन को 7 माह का गर्भ था। उनको 6 गोली मारी गयी। उनके तीन छोटे-छोटे बच्चें है। बच्चों की देख रेख उनकी बुर्जुग दादी कर रही है। शाजमिन के पति फारुक बताते है कि '' मै उस वक़्त फैक़्ट्री  मे था,' फारुक उसी कम्पनी में काम करते है। फारुख बताते है कि ''शाजमिन दवा लेकर रास्ते में आ रही थी। फैक्ट्री के अन्दर के रास्ते पर ही पुलिस वालों ने उन्हे गोली मारी। शाजमिन के सर पर और पेट में कुल लगभग 6 गोली लगी है। पुलिस ने रास्ते पर आ रही मेरी पत्नी को सीधे गोली मार दी। कम्पनी वाले चाहते है कि लोग ड़र जाये और इस रास्ते पर नही आये।'' फारुक  फायरिंग के समबन्ध मे कहते है कि ''पुलिस अंधाधुध गोली चला रही थी, हमले में पुलिस के साथ कम्पनी के लोग भी फायरिंग कर रहे थे। पुलिस की मंशा साफ थी यदि मौके पर विधायक जाकिर हसन नही आते तो पुलिस गाँव में घुसकर गोली मारती। मैं एफ.आई.आर. करने थाने पर गया तो मुझे वहाँ से भगा दिया गया। मैंने कोर्ट में जाकर एफ.आई.आर. कराया। अभी गाँव में बिहार सरकार का कोई जिला या प्रदेश स्तर का अधिकारी नही आया।केस लड रहे है कि पत्नी और अजन्मे बच्चे को ईंसाफ मिले पर डर लगता है की ये लोग कन्ही हमे भी कुछ न कर दे, फिर बुढे मा-बाप और बच्चो का क्या होगा ''।शजमिन की बडी बेटी(7 साल) अपने छोटे बहन – भाई को सम्भाल रही है। 

               ''मेरा छोटा भाई बेटा बाहर चला गया था। गोली चलने की आवाज के बाद मेरे पति ज्योहि बाहर निकले पुलिस वालों ने सीधे गोली मार दी। गोली उनके जबडे में लगी।' रईश अंसारी की पत्नी नाजो खातुन कहती है। हम अस्पताल गये तो वहाँ डाँक्टर दो लाख रुपया मांग रहा था। हम गरीब लोग है अभी पटना से इलाज कराकार आये है। पैसा दुसरे से उधार लिये है। गोली लगने के बाद से ही इनके मुह से खाना देना बन्द हो  गया है। घर में कोई कमाने वाला नही है। पाँच बच्चों को पालना भी है।'

                घटना में पुलिस फायरिंग में मारे गये 20 वर्षी मुख्तार अंसारी ट्रक पर हेलपरी का काम करते थे। ''घटना के समय वह छुट्टीपर घर आ रहा था तो रास्ते तें पुलिस वालों ने उसे गोली मार दी।'' मृतक मुख्तार के पिता फारुक अंसारी पुनः कहते है कि 'घटना के बाद हम लोग डरकर छिप गये थे। पुलिस लाशों को जीप में रखकर पोस्टमार्टम के लिए ले गयी। विधायक जाकिर हुसैन के आने पर पुलिस ने फायरिंग बन्द की।' घटना के बाद से ही मुख्तार की माँ अपने होशो हवास खो चुकी है।

                मो0 अनवरऊल घटना के सम्बन्ध मे बताते है कि 'पुलिस हाइवे पर चढ़कर गाँव में घुसने ही जा रही थी। विधायक के आने के बाद पुलिस वाले पीछे हट गये। विधायक के हस्तक्षेप से ही हम लोगों की मिट्टी मिली। घटना के बाद अधिकतर पुरुष गाँव छोड़कर भाग गये थे। गोली चलने के बाद पुलिसवाले और कम्पनी के लोगों ने निर्माणाधीन फैक्ट्री की कुछ मशीनों में आग लगा दी और कागज में दिखाया कि गाँव वालों ने लगायी है।'

                 घटना के पश्चात् आरो सुन्दरम के निदेशक अशोक कुमार चैधरी द्वारा तीन हजार अज्ञात लोगों पर एवं सुनील कुमार गुप्ता, पर्यवेक्षक, प्रखण्ड सांख्यकि विभाग द्वारा एक हजार अज्ञात लोगों पर मुकदमा दर्ज कराया गया। पुलिस ने इन अज्ञात लोगो पर धारा-147, 148, 149, 379,436,452,427,307,323,303,324,341,342,325,337,353,333,532,479,004, और 120 (बी) आई.पी.सी. तथा 27 आर्म्स एक़्ट के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया है।

घटना के पीडि़तों का विवरण:-                  

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क्रम सं0
नाम
पिता/पति का नाम
उम्र
पता
प्रभाव
1
नौशाद

7 माह
भजनपुर
मृत
2.
शाजमिन
फारुख अंसारी
25 वर्ष +7 माह का गर्भ
भजनपुर
मृत
3
मुस्तफा 
फटकन अंसारी
20 वर्ष
भजनपुर     
मृत
4
मुख्तार अंसारी
फारुख अंसारी
20 वर्ष
भजनपुर
मृत
5
रईश अंसारी
अम्सुल
35 वर्ष
भजनपुर
घायल जबडा पर गोली
6
रेहाना खातुन
सदिक अंसारी
22 वर्ष
भजनपुर
बाह में गोली
7
एकराम अंसारी
डोमी अंसारी
30 वर्ष
भजनपुर
पैर मे गोली
8
 एबादुल अंसारी
लतीफ अंसारी
55 वर्ष 
भजनपुर
पैर मे गोली
9
मंजुर अंसारी  
आले रसुल
8
भजनपुर
गर्दन मे गोली
10
कालमुन खतुन  अंसारी
जहीर
अन11
भजनपुर
पीठ पर छुती हुई 
11
मुजाहिर
अमसुल अंसारी
24
भजनपुर
पैर पे गोली
12
सलामत अंसारी
हशीर
14
भजनपुर
सर को छुति हुई
13
जुबैश 
अजीम
15
भजनपुर
सर को छुती हुई



निष्कर्ष:-

1.       भजनपुर गाँव मे 2000 की आबादी मे मात्र 7-8 मकान ही पक्के है बाकी मडई है।

2.       भजनपुर मे सिर्फ मुस्लिम समुदाय के लोग रहते है ।गरीबी हर घर और चेहरे पर नजर आती है ।

3.       विबाद की वजह आरो सुन्दरम कम्पनी द्वारा ग्रामीणो के मुख्य रास्ते जबरदस्ती बन्द करना है ।  

4.       अररिया प्रशासन द्वारा मामला सुलझाने की कोई कोशिश नही की गयी। गरीब अल्पसंख्यको की समस्या को सरकार द्वारा कोई तव्वजो नही दिया गया ।

5.       पुलिस और कम्पनी द्वारा रास्ता बन्द करने की कोई सुचना नही दी गयी थी। प्रशासन ने वैकल्पिक रास्ता नही निकाला।

6.       प्रशासन एवम कम्पनी द्वारा सुझाया रास्ता नेशनल हाईवे से होकर जाता है जो 7-8 किमी पडता है।गाँव के ज्यादातर लोगो के पास आने – जाने का साधन नही है वो पैदल ही जाते है ।

7.       अररिया प्रशासन द्वारा राजनैतिक दबाव मे अल्पसंख्यको पर एकतरफा कार्यवाही की गयी ।

8.       पुलिस द्वारा बिरोध कर रहे लोगो को कोई चेतावनी नही दी गयी ।पुलिस ने आते ही सीधे फायरिंग शुरु कर दी ।

9.       पुलिस ने भीड को हटाने के लिये रबर की गोली,आसु गैस के गोले या पैरो को निशाना नही बनाया।इससे स्पष्ट होता है की पुलिस ने सीधे काउंटर किया है।

10.      पुलिस द्वारा लोगो के सर और सीने के पास मे गोली मारी गयी है जोकि इरादतन हत्या है।पुलिस ने बृज पर चढकर सीधे बच्चो और औरतो पर फायरिंग की।

11.      अररिया प्रशासन और कम्पनी ने मामले को सुलझाने के बजाय दहशत से दबाने की  कोशिश की है।

12.      उच्च अधिकारियो की उपस्थिति मे गोली से घायल युवक को चिकित्सकीय सुबिधा उपलब्ध कराने के बजाय उसके उपर कुदा एवम पीटा गया ।

13.      घायलो को (नौशाद व मुस्तफा) बचाने की कोई कोशिश नही की गयी । उन्हे एम्बुलेंस की बजाय जीप मे लादकर ले जाया गया ।

14.      रास्ते मे आ रहे लोगो को (रेहाना,नौशाद तथा शाजमिन )को जानबुझ कर गोली मारी गयी ।

15.      पुलिस ने गर्भवती महिला शाजमिन को 6 गोली मारी है,शाजमिन के साथ ही गर्भ मे पल रहा 7 माह का शिशु भी मर गया।

16.      घटना के बाद कम्पनी के लोगो खुद ही मशीनो मे आग लगायी तथा फैक़्ट्री मे तोडफोड की गयी ।

17.      घटना के बाद जिला और राज्य प्रशासन का कोई भी अधिकारी घटनास्थल पर नही गया।गृह सचिव,पुलिस महानिदेशक सिर्फ फारबिसगंज तहसील और कम्पनी तक ही गये पर 200 मीटर की दुरी पर मौजुद पीडित परीवारो और गाँव वालो से नही मिले। 

18.      घटना के मृतको एवम घायलो को सरकार की तरफ से कोई मुआवजा नही मिला जिससे वो अपना इलाज करा सके।मात्र नौशाद के परिवार को तीन लाख मुआवजा मिला है।

19.      चार लोगो की हत्या और 9 लोगो पर जानलेवा हमले के बाद भी सुनिल यादव को छोडकर किसी पर कोई कार्यवाही नही की गयी ।

20.      लोगो मे दहशत फैल गयी है, ज्यादातर युवक गाँव छोडकर बाहर चले गये है।

21.      एक ही घटनास्थल पर सरकारी कर्मचारी सुनिल गुप्ता ने 1000 लोगो की गणना कर  फ.आई.आर तो अशोक चौधरी (कम्पनी निदेशक) ने 3000 अज्ञात लोगो पर मुकद्दमा दर्ज किया है जोकि आपस मे बिरोधाभाषी है।

22.       गाँववालो की एफ आई आर नही लिखी गयी और उन्हे थाना प्रभारी अनिल कुमार गुप्ता ने,थाना -फारबिसगंज भगा दिया।

23.      अररिया प्रधानमंत्री के 15 सुत्रीय अल्पसंखयक कल्याण के अंत्रगत आता है।

24.      सरकार द्वारा जमीन अधिग्रहण के बाद 26 साल तक कोई उपयोग नही किया गया ।    

माँग / आवेदन

Ø  घटना मे शामिल जनप्रतिनिधी अशोक अग्रवाल की बिधान परिषद की सद्स्यता तत्काल रद्द की जाय और हत्या का मुकदमा दर्ज कर तत्काल कार्यवाही की जाय ।

Ø  कम्पनी आरो सुन्दरम के निदेशक अशोक चौधरी,सौरभ अग्रवाल,कम्पनी के सिक्योरिटि गार्डो  पर ह्त्या का मुकदमा दर्ज कर तत्काल गिरफ्तार किया जाय ।

Ø  बिहार पुलिस की एस.पी गरिमा मलिक,और फायरिंग मे शामिल सभी पुलिसवालो को बर्खास्त कर हत्या का मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही की जाय ।

Ø  जिलाधिकारी तथा एस.डी.ओ. को तत्काल कार्यमुक्त कर हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाय । 

Ø  सरकार द्वारा जमीन अधिग्रहण के बाद 26 साल तक उपयोग नही किया लिहाजा जमीन का अधिग्रहण तत्काल रद्द किया जाय या वर्तमान दर से लोगो को मुआवजा दी जाय।

Ø  उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी पर घटना की संलिपत्ता की जांच कर मुकद्दमा दर्ज किया जाय एवम इस जिम्मेदार पद से हटाया जाय ।

Ø  मृतको के परिवारवालो को रुपये 10 लाख तथा घायलो को रुपये 5 लाख तथा चिकित्सकीय खर्च दिया जाय ।

Ø  मामले की निष्पक्ष जाँच अल्पसंख्यक आयोग, उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायधीश एवं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से करायी जाय।

Ø  पीडितों पर से गम्भीर मुकदमें वापस लिये जाय।

Ø  ग्रामीणो को आजीविका के साधन उपलब्ध कराये जाय।

Ø  प्रधानमंत्री की 15 सुत्रीय अल्पसंख्यक कल्याण योजना के अंतर्गत कार्यवाही की जाय।

  

            लोकतांत्रिक राष्ट्र मे गर्भ मे पल रहे शिशु और माँ की, 7 माह के बालक की तथा  गोली से घायल युवक के उपर कुद कर निर्मम हत्या के बाद जिला प्रशासन का यह कृत्य और राज्य सरकार की घटना का नजरन्दाज करना आने वाले समय मे समाज को बाटने तथा नक़्सल जैसी घटनाओ को बढावा देगा। देश शर्मिन्दा है, दोषियो को अतिशीघ्र सजा मिलने से ही न्याय होगा अन्यथा सजा मे हो रही देर उपरोक्त अपराध से भी बडा अपराध होगा ।उम्मीद है लोकतंत्र की धडकन का चलना बन्द नही होगा।

                                             भवदीय





                                       डा0 लेनिन

                                    (महासचिव)



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Dr. Lenin
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